कल रात मैं ऑफिस से घर जा रहा था।
रास्ते में मोड़ पर एक वृद्ध, पैरों से विकलांग
भिखारी ने आवाज़ दी....
"सवेरे से भूखा हूँ बेटा,
कुछ दया करो।"
मेरा दिल भर आया और मैंने अपने रास्ते के लिए
रक्खा चिप्स का पैकेट बैग से निकालकर उस वृद्ध भिखारी को दे दिया और आगे बढ़ने लगा।
तभी भिखारी ने मुझे फिर आवाज दी।
वैसे तो मुझे जल्दी थी पर उसके आवाज देने पर
मैं रुक गया और पलटकर उसके पास आया।
वृद्ध भिखारी ने मुझे स्नेह से देखा और अपने
फटे हुए थैले से दिन भर भीख मांगकर इकठ्ठे किये हुऐ 140/-रुपये निकाल कर मेरी हथेली
पर रख दिए।
मेरा गला भर आया ओर हकबका कर बोला:
बाबा ये क्या!
वृद्ध भिखारी ने ममतापूर्ण स्वर में कहा:
बेटा! तुमने इतने प्यार से मुझे अपनें लिए रखा
ये नमकीन का पैकेट दिया...
तो मै अब मजबूर हो गया हूं ओर मेरा....
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अब मूड बन गया है
बस सामने की वाइन शॉप से एक क्वार्टर ला दो।
भगवान् तुम्हारा भला करेंगे।।